ब्रह्मण्ड का स्वरूप और पञ्चतत्व
ब्रह्मण्ड का स्वरूप और पञ्चतत्व मूल रूप से हमारा ब्रह्माण्ड एक अँधेरे और ठण्डे के रूप में स्थित है। जिसमें ज्यादातर हिस्सा करीब तीन चौथाई वह है जो कभी सृष्टि में दृष्टिगोचर नहीं होता,आधुनिक विज्ञान की भाषा में कहें, तो वो डार्क एनर्जी या डार्क मैटर है। दूसरी तरफ सृष्टि में जो बाकी भाग है, वो उत्पन्न वृद्धि और प्रलय में निरंतर चलता रहता है। जिसमें स्फोट मत के सिद्धांत से ऊर्जा और प्रकाश है। मनुष्य जिस भाग में रहता है, वो यही एक चौथाई भाग का गर्म और प्रकाशमान ब्रह्माण्ड है। इस पूरी बात का निचोड़ सामान्य बोलचाल में अक्सर एक कहावत से प्रचलन में आता है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु सूचक अर्थ में उसका ठण्डा पड़ जाना कहते हैं। गर्म अर्थात् जीवन, ठण्डा अर्थात् मृत्यु किसी मेहमान के आने पर गर्मजोशी से स्वागत करना जीवंत होने का परिचायक है। इसी प्रकार जीवन के लिऐ मनुष्य को सबसे अधिक गर्मी की आवश्यकता होती है जो कि हमें सूर्य से प्राप्त होती है। पौधे को अपना भोजन बनाने में ९०% भाग सूर्य से १०% भाग जल से प्राप्त होता है बाकी के सुक्ष्म अवयव मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इस प्...