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पंचतत्व चिकित्सा ही क्यो ?

🏵 * पंचतत्व चिकित्सा ही क्यों? * 🏵 पंचतत्व को भारत वर्ष में हर कोई जानता तो है, चाहे माने या न माने, जब भी किसी महान समाजिक व्यक्तित्व की मृत्यु होती है, तो उनके अंतिम संस्कार के बाद प्रिंट मीडिया और डिजिटल मीडिया द्वारा सभी जगह दिखाई और सुनाई देता है कि नेताजी / जो भी नाम के व्यक्ति हो, पंचतत्व विलीन हो गए। परन्तु उसी व्यक्ति का इतिहास देखेंगे तो पायेंगे जब भी वह व्यक्ति बीमार हुआ डाक्टर ने सिर्फ विटामिन्स व मिनरल्स की ही गोलियाँ खिलायी है, उससे कभी यह नहीं कहा कि आपकी हवा, आकाश, अग्नि, जल, पृथ्वी असंतुलित हो गयी।    जबकि सर्वभौमिक सत्य यह है कि हमारा शरीर पंच महाभूतों से बना है, जिसकी पुष्टि श्री राम चरित मानस भी करता है:-  क्षिति जल पावक गगन समीरा पंच  रचित अति अधम शरीरा वेद कहते हैं कि सृष्टि / ब्रह्मांड में सभी जीव पंचतत्व / पँचमहभूतो से रचित है और जो ब्रह्मांड में है वही पिंड में है।  यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे इस सृष्टि में यह पंचतत्व उसी तरह से जीवों में विद्यमान है, जिस तरह ईश्वर कण कण में विद्यमान हैं। जिसे अब आधुनिक विज्ञान ने जिनेवा में हुए प्रयोग ...