चीन और कोरोना वायरस एवम पँचतत्व (भारत की वैदिक यज्ञ परम्परा)

🏵️ चीन और कोरोना वायरस एवम भारत की वैदिक यज्ञ परंपरा।। 🏵️            
  ---कोरोना वायरस के कारणों पर शोध से चीन ने जो निष्कर्ष निकाले हैं वे परोक्ष रूप में भारतीय वैदिक संस्कृति का अनुमोदन करते हैं। जो कि इस प्रकार है:-

💐 हमारे प्राचीन ऋषियों ने वेदों के आधार पर शवों को अग्नि में जलाकर दाह संस्कार करने का विधान बनाया था।
चीन ने घोषणा की है कि अगर शवों को जमीन में गाड़ देंगे, तो उनके शरीर में जो कोरोना वायरस या अन्य वायरस व बैक्टीरिया होते हैं वो जमीन में मिल जाएंगे और ये वायरस और बैक्टीरिया कभी नष्ट नहीं होंगे, बल्कि जमीन में ही फैलेंगे और जल तथा वायु को प्रदुषित करेंगे। शवों को जला देने से आग के जरिये वायरस और बैक्टीरिया सदा सदा के लिए ख़त्म हो जाते हैं।
इसीलिए चीन ने घोषणा की है कि जितने भी लोग कोरोना वायरस से पीड़ित होकर मर रहे हैं, उन सभी का अंतिम संस्कार जलाकर ही किया जायेगा।

💐 वेद और वैदिक सहित्य में शाकाहार को ही मनुष्य का भोजन कहा गया है। मांसाहार रोगों को बढ़ाने वाला और महापाप की श्रेणी में आता है।जिसका सेवन स्पष्ट रूप में वर्जित है।
मांसाहार कितना खतरनाक होता है , इस बात की जानकारी चीन को ही नहीं सारे विश्व को कोरोना के कारण पता चली है। जिन प्राणियों को माँसाहारी खाते हैं वे कई प्रकार की घातक बीमारीयों से पीड़ित हो सकते हैं तथा उनके सेवन से मनुष्य उन बीमारीयों की चपेट आ सकता है यह बात कारोना वायरस ने सिद्ध कर दिया है। अब पूरे विश्व को शाकाहार को ही अपनाना होगा।


💐 पँचतत्व दृष्टिकोण :- हमारे ऋषियों ने यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा है क्योंकि शुद्ध जल और वायु मनुष्य के लिए परम आवश्यक है। अग्नि में डाला गया घी एवं अन्य सामग्री वातावरण में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया को भी समाप्त करता है ।

चीन अब भारत में अपनाई जाने वाली यज्ञ पद्धति से वायरस मिटाने पर विचार कर रहा है। क्योंकि मांसाहार त्याग कर वायरस से कुछ सीमा तक तो बच सकते हैं लेकिन जो वायरस वायुमंडल में फैल चुके हैं उनको समाप्त करने का उपाय यज्ञ ही है।

💐 वैदिक संसकृति में आपसी मेल जोल में शारीरिक स्पर्श जैसे हाथ मिलाना या गले मिलना या चूमना आदि का कोई स्थान नहीं है। एक दुसरे से मिलने पर हाथ जोड़ कर नमस्ते करने का आदेश है। यह नियम हमारे ऋषियों की वैज्ञानिक व स्वास्थ्य की दृष्टि से उच्च कोटि सोच को दर्शाता है। अन्य अभिवादन के ढंग छूत रोग कारक है इसलिए हाथ जोड़कर नमस्ते करना ही स्वास्थ्य के लिए उचित है।

आज चीन में लोगों को कोरोना वायरस से बचने के लिए शारीरिक स्पर्श से बचने के निर्देश दिये गये हैं। यह सब निर्देश वैदिक संस्कृति का ही समर्थन करते हैं।जिनको हमने करोड़ों वर्षों से अपनाया हुआ है। 

आज चीन शव दाह संस्कार, शाकाहार, यज्ञ विज्ञान और भारतीय संस्कृति को अपना रहा है! वह दिन दूर नहीं जब पूरा विश्व भारतीय वैदिक संस्कृति को अपनाने को मजबूर होगा 🚩

भारत में ऋषि- मुनियों ने जो नियम धर्म और परम्पराओं के आधार पर बनाये है वही सर्वश्रेष्ठ हैं और इनको अपनाने से ही हर रोग से बचा जा सकता है।  🚩
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🏵️🏵️पँचतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान, पलवल🏵️🏵️

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