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पंचतत्व में पानी का गणित

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🏵 *पंचतत्व में पानी का गणित* 🏵 👉🏼 किडनी रोगी जरूर पढ़ें।  जिस प्रकार गणित में सवाल का उत्तर सवाल में छुपा होता है। उसी प्रकार इंसान के स्वास्थ्य का राज पांच तत्वों में छुपा है। लेकिन गणित के प्रश्नों का  हल करने के लिए सूत्र की आवश्यकता पड़ती है। उसी तरह पाँचों तत्वों को समझने के लिए सूत्र को समझना अति आवश्यक है।   यदि हम *आग और पानी* को हम सूत्र मान लेते हैं। (आग यानि जीवन् ऊर्जा, क्योंकि यह ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है।) तो इन्ही सूत्रों से जिनके लिए इंसान मेहनत करता है, हल करने में सहायता मिल सकती है।     बाकी के तीन तत्व सूत्र (हवा, भूमि और आकाश) हमें ईश्वर ने उपहार स्वरूप दिए हैं। यह तीनों सूत्र इन दोनों सूत्रों में विलीन है। क्योंकि यदि पृथ्वी नहीं है तो जल का आधार नहीं है। यदि वायु नहीं तो आकाश नहीं जो सृष्टि का मूल तत्व है।  इसलिए हमें ज्यादा ध्यान आग और पानी पर देना होता है। बाकी वायु, भूमि, शून्य स्वतः ही संतुलित हो जाते हैं। *भोजन को ब्रह्मरूप माना गया है, इसी ब्रह्म का अस्तित्व रूप आत्मा है, आत्मा से परे चित्त है जिसे आनंदमय को...

पञ्चतत्व और पञ्चाङ्ग

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🏵 *पञ्चतत्व और पञ्चाङ्ग* 🏵 * पंचतत्व दृष्टिकोण में ऋतु परिवर्तन *     आज पंचतत्व की दृष्टिकोण पर प्रकृति के ऋतु परिवर्तन पर यह लेख देने पर बेहद सुखद अनुभूति हो रही है क्योंकि यह किसी भी मनुष्य के लिए बेहद प्रेरणादायक प्रसंग है। जैसे जीवन में उम्र के अनुसार हमारी अवस्था परिवर्तन होते हैं, सुख-दुःख का क्रम चलता रहता है, जिसके कारण जीवन् में एक जीवटता घटती है। उसी प्रकार प्रकृति में ऋतुएं बदलती रहती है जिसका प्रभाव हमारे मन व शरीर दोनो पर पड़ता है।। हम इस प्राकृतिक परिवर्तनों के दौर से गुजरते है तो पाते है, इस जलवायु परिवर्तन का कालखंड एक वर्ष का होता है, जिसमें मौसम की दशाएँ एक खास प्रकार की होती हैं।  इस एक वर्ष के कालखंड में  पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के परिणाम स्वरूप दिन की अवधि, तापमान, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि मौसमी दशायें एक चक्रीय रूप में बदलती हैं, जिसे कई भागों में विभक्त करता है।  * चार ऋतुयें *  आप सब जानते हैं कि ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार चार ऋतुएँ मानी जाती हैं:- बसन्त (Spring), ग्रीष्म (Summer), शरद (Autumn) ...